Wednesday, March 11, 2009

देखा एक ख्वाब तो, ये सिलसिले हुए



देखा एक ख्वाब तो, ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाहों में हैं फुल खिले हुए
ये गिला हैं आप की निगाहों से
फुल भी हो दरमियाँ तो फासलें हुए

मेरी सासों में बसी खुशबू तेरी
ये तेरे प्यार की हैं जादूगरी
तेरी आवाज हैं हवाओं में
प्यार का रंग हैं फिजाओं में
धड़कनों में तेरे गीत हैं मिले हुए
क्या कहू के शर्मा से हैं लैब सिले हुए

मेरा दिल हैं तेरी पनाहों में
आ छूपा लू तुजे मैं बाहों में
तेरी तसवीर हैं निगाहों में
दूर तक रोशनी हैं राहों में
कल अगर ना रोशनी के काफिले हुए
प्यार के हजार दीप हैं जले हुए

No comments:

Post a Comment