Tuesday, March 10, 2009

मेरा दिल भी कितना पागल हैं



मेरा दिल भी कितना पागल हैं
ये प्यार तो तुम से करता हैं
पर सामने जब तुम आते हो
कुछ भी कहने से डरता हैं
कितना इसको समझाता हूँ
कितना इसको बहलाता हूँ
नादान हैं कुछ ना समझता हैं
दिनरात ये आहें भरता हैं
हर पल मुझको तडपाता हैं
मुझे सारी रात जगाता हैं
इस बात की तुमको खबर नहीं
ये सिर्फ तुम ही पर मरता हैं

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