Wednesday, March 11, 2009

तुम इतना जो, मुस्कुरा रहे हो



तुम इतना जो, मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है, जिस को छुपा रहे हो

आँखों में नमी, हँसी लबों पर
क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो

बन जायेंगे जहर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो

जिन जख्मों को वक्त भर चला है
तुम क्यो उन्हें छेदे जा रहे हो

रेखाओं का खेल हैं मुकद्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो

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