Wednesday, March 11, 2009

होंठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो



होंठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी परीत अमर कर दो

ना उमर की सीमा हो, ना जन्मों का हो बंधन
जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन

नयी रीत चलाकर तुम ये रीत अमर कर दो

आकाश का सूनापन मेरे तन्हा मन में
पायल ज़नाकाती तुम आ जाओ जीवन में

साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो

जगाने छिना मुज़ से, मुजे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किए मुज़ से, मैं हर पल ही हारा

तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर डी

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